Thursday, 16 April 2020

प्रस्तावना:
हमारे भारत देश के सभी फूलों में से गेंदा यह फुल अत्यंत लोकप्रिय फुल हैं | यह गेंदा फुल अपनी खूबसूरती और सुगंधी की वजह से सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं |

गेंदा यह फुल बहुत उपयोगी हैं और बहुत आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा हैं | इस गेंदा फुल का पौधा बरसात के मौसम में लगाया जाता हैं | गेंदा फुल हमारे भारत देश में हर एक जगह पर पाया जाता हैं | भारत देश के कई हिस्सों में गेंदे के फुल की खेती की जाती हैं |

गेंदा फुल की रचना

गेंदा फुल की ऊंचाई लगबग ३-४ फूट होती हैं | गेंदा फुल के पत्ते लम्बे और कंगूरेदार होते हैं | इसे मसलने पर अच्छी खुशबु आती हैं | गेंदा फुल का रंग अलग – अलग होता हैं |

जैसे की यह फुल नारंगी और पीले रंगों में पाया जाता हैं | गेंदे के पौधे पर अक्टूबर या नवम्बर में फुल लगते हैं | इन फूलों का आकर अन्य फूलों में से घना और बड़ा होता हैं |

गेंदे फुल की प्रजाति

गेंदे फुल की अन्य प्रकार की प्रजाति पाई जाती हैं | लेकिन उन सबही प्रजातियों में से मखमली, जाफ़रे, हवशी और सुरनाई यह प्रजाति प्रचलित हैं









गेंदा के फुल पर निबंध
हमारे भारत देश में मुख्य रूप से अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा की खेती की जाती हैं |

अफ्रीकन गेंदा 

अफ्रीकन गेंदा यह बहुत फैला हुआ और लम्बा बढ़ने वाला होता हैं | इसके फुल भी बहुत बड़े होते हैं | जो विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं | जैसे की नींबू या पीला, चमकीला पीला, स्वर्णपीला, नारंगी और सफ़ेद रंग के होते हैं |

फ्रेंच गेंदा 

फ्रेंच गेंदा इस फुल का आकार बहुत ही घना होता हैं | इस फुल की लम्बाई ३०-३७.५ सेमी होती हैं | यह फुल इकहरे और दोहरे प्रकार होते हैं | फ्रेंच गेंदा पीला, नारंगी, सुनहरा, महोगनी, चित्तीदार, लाल और मिश्रित रंगों में पाए जाते हैं |

गेंदा फुल के विभिन्न भाषाओँ में नाम

इस गेंदा फुल को संस्कृत भाषा में झंडू और स्थूल पुष्प कहा जाता हैं | हिंदी में गेंदा, मराठी में झेंडू और गुजराती में गलगोटो, अंग्रेजी में मेरी गोल्ड कहा जाता हैं |

गेंदे फुल के गुण

गेंदे फुल का उपयोग एंटी – बायोटिक के रूप में किया जाता हैं |

गेंदे का फुल आँखों से जुडी हुई कई तरह के बिमारियों के लिए फायदेमंद होता हैं |

गेंदे का फुल एक बेहतरीन सौंदर्य उत्पादक हैं | यह त्वचा को लम्बे समय तक खुश रखता हैं |

इस फुल में कई ऐसे गुण होते हैं, जो घाव को ठीक करने के लिए सहायता करते हैं |

गेंदे फुल का उपयोग इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है |

निष्कर्ष:

गेंदा यह फुल बहुत उपयोगी फुल हैं | इस फुल का उपयोग सजावटी के लिए भी किया जाता हैं | कई लोग इस फुल की मालाएं बनाकर और खुले बेचते हैं | गेंदा यह फुल अपने विभिन्न रंगों के कारण भू – दृश्य की सुंदरता बढ़ाने में इसका सबसे ज्यादा महत्त्व हैं |

गेंदा के फूल का कुछ उपयोग

गेंदे के पत्तों के 20-30 mL काढ़े को कुछ दिनों तक दिन में दो बार सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है.
गेंदे के फूल हानिकारक कीटाणुओं और कीड़ों को दूर रखते है. इसे लगाने से मलेरिया पैदा करने वाले मच्छर भी भाग जाते है.

– इसकी पत्ती का रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है. तेल गर्म कर उसमे दो तीन गेंदे की पत्तियाँ, अजवाइन और लहसुन डालकर छान ले. यह तेल कान में डालने से दर्द चला जाता है.

– गेंदा के फूलों का रस नारियल तेल के साथ मिलाकर उससे हल्की-हल्की मालिश करके नहा लिया जाए तो सिर में हुए किसी भी तरह के संक्रमण, फोड़े- फुंसियों में आराम मिल जाता है.

गेंदे के फूल की डौण्डी का चूर्ण 10 ग्राम दही के साथ सेवन करने से दमें और खांसी में लाभ होता है.

– खूनी बवासीर में गेंदे के फूलों का 5-10 ग्राम रस दिन में 2-3 बार सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है. गेंदे के पत्तों का रस निकालकर पीने से बवासीर में बहने वाला रक्त तुरन्त बंद हो जाता है.

– रक्तप्रदर या ओवर ब्लीडिंग में गेंदे के फूलों का रस 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है. इसके फूलों के 20 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम घी में भूनकर सेवन करने से लाभ होता है.

– गेंदे के पत्तों को पीसकर टिकियां बना लें फिर आंखों की पलकों को बंद करके इसे पलको के ऊपर रखे इससे आंखों का दर्द दूर हो जाएगा.

गेंदे के पंचाग (जड़, पत्ता, तना, फूल और फल) का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाएं व मालिश करें। इससे लाभ मिलता है.

– मेरीगोल्ड  के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करें इससे दांतों के दर्द में तुरन्त आराम मिलेगा.

– गेंदे के फूलों का रस 1 से 2 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करने से बुखार में लाभ मिलता है.

– मेरीगोल्ड के पत्तों को मैदा या सूजी के साथ मिलाकर पीठ के फोड़े, विषाक्त  फोड़े, सिर के फोड़े और गांठ पर लगाने से फोड़ा ठीक हो जाता है.

– 10 ग्राम गेंदे के पत्तों को पीसकर उसके रस में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार पीने से रुका हुआ पेशाब खुलकर आ जाता है.
दाद होने पर गेंदे के फूलों का रस निकालकर 2-3 बार रोज लगाने से लाभ होता है.

– गेदें के पत्तों को पीसकर 2-3 बार लगाने से फोड़े, फुंसियों तथा घाव में लाभ मिलता है. गेंदा के फूलों को पीसकर घाव पर लगाने से फायदा मिलता है.

– सर्दियों में हाथ पैर फटने पर गेंदे के पत्तों का रस वैसलीन में मिलाकर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है.
नोट : हम यह जानकारी भिन्न- भिन्न स्रोतों से एकत्रित करते हैं. यह सिर्फ जानकारी के लिए दी गयी है. किसी भी तरह का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरुर लें. आपको यह पोस्ट गेंदा के फूल का कुछ उपयोग कैसा लगा, अपना विचार जरुर दें. 

                             धन्यवाद!




Wednesday, 15 April 2020

नमस्कार दोस्तों
कैसे हो आप हमें उम्मीद है आप सभी काफी बेहतर होंगे। और अपनी बागवानी में व्यस्त होंगे। दोस्तों गुलहड़ से आप सभी परिचित है और गुलहड़ का पौधा बहुतही प्यारा पौधा है इस पर इतने सुंदर फूल आते हैं कि हर कोई इसे अपने बगीचे में लगाना चाहता है। इसे लगाना बड़ा ही आसान है इस समय आप ऐसे बड़ी आसानी से उगा सकते हैं।
आज मैं आपको गुड़हल को कटिंग से लगाना बतायेंगें ।सबसे पहलेअगर आप गुडहल को कटिंग से लगाना चाहते हैं।तो  गुलहड़ को कटिंग से बड़ी आसानी से उगाया जा सकता है

▪गुलहड़ को उगाने के लिए आपके पास गुलहड़ की अच्छी सी ब्रांच होनी चाहिए ।साथ ही साथ इसके लिए हमें नॉर्मल मिट्टी प्रयोग करनी है उसमें गोबर खाद का मिश्रण तैयार करके हम गुलहड़ की कटिंग  को उगा सकते हैं।

गुड़हल उगाने के लिये Cutting 

▪गुलहड़ को cutting से उगाने के लिये ज्यादा नयी या ज्यादा पुरानी शाखा ना चुनें। एक वर्ष पुरानी शाखा Cutting बनाने के लिये सबसे अच्छी रहती है।
▪Cutting को 45° के कोण से काटना है।Cutting काटते समय Cutting फटनी नही चाहिये।
▪Cutting ज्यादा लंबी नही होनी चाहिये।
गुड़हल के लिए मिट्टी
गुलहड़ की Cutting आप मिट्टी में बहुत आसानी से grow कर सकते हैं । आप किस प्रकार की मिट्टी में लगाएं और कौन-कौन सी वेराइटी आपके लिए सबसे बेहतर रहेगी। और कितनी खाद देनी है ।
▪गुलहड़ के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है ,इसके अलावा आप इसे चिकनी मिट्टी और लाल मिट्टी में भी उगा सकते है लाल मिट्टी में  गुड़हल के बहुत अच्छे फूल आते हैं।
गुड़हल के लिये मिट्टी

 गुड़हल उगाने के लिए मिट्टी बना रहे हैं तो अधिक बालू की  मिट्टी को बनाइए । गुड़हल उगाने के लिए किस प्रकार की मिट्टी बना सकते हैं।

साधारण मिट्टी 50%
बालू 20%
 गोबर का 30%

इस प्रकार से आप गुड़हल के लिए मिट्टी बना सकते हैं
गुड़हल की प्रजातियां
   देशी गुलहड़ के आलावा भी गुड़हल की सैकड़ों प्रजातियां होती हैं ।जैसे देशी गुड़हल ,बेंगलुरु गुलहड़ , कोलकाता गुड़हल , इंग्लिश गुड़हल अमेरिकन गुड़हल आदि ।

गुड़हल के लिए खाद

  अब बात करेगें खाद की गुड़हल के लिए सर्वोत्तम आहार के रूप में ऑर्गेनिक खाद जैसे वर्मी कंपोस्ट खाद, गोबर खाद होती है  गुड़हल के स्पेशल विकास के लिए बोन मील   (हड्डी चुरा )का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा गुड़हल को तेज विकास के लिये सूरज की तेज धूप की जरूरत होती है ।गुड़हल के पौधे में 12 से 15 दिन के अत्तराल  से गोबर खाद डाले ।

गुड़हल पर लगने वाली बीमारियां
गुड़हल पर लगने वाली अनेंक बीमारियां हैं ।सबसे ज्यादा गुड़हल पर दीमक लगने से गुड़हल का पौधा सूख जाता है। और गुड़हल की पत्तियां पीली पड़ जाती है । ओवरवाटरिंग की  वजह से भी गुड़हल की पत्तियां पीली पड़ने लगती है।ज्यादा पानी देने से गुडहल की जड़ो में फंगस रोग लग जाता है जिससे गुड़हल की शाखा सड़ने लगती हैं ।फंगस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए फंगसनाशक पाउडर का प्रयोग करें ।इसका प्रयोग करने से गुड़हल पर आने वाला फंगस रोग दूर हो जाता है।
पोषक तत्वों की कमी होने पर गुड़हल पर फूल आना बन्द हो जाता है। पत्तियां हल्की पीली पड़ना शुरू हो जाती है।
▪केले के छिलके से बना पील फर्टीलाइजर गुड़हल के लिये बहुत फायदेमन्द रहता है। महीने में दो बार प्रयोग करने से फूल आना शुरू हो जाते है।

गुड़हल का फूल है बेहद ख़ास


दुनियाभर में अलग-अलग तरीके के फूल पाए जाते हैं. उन्हीं में से एक है- गुड़हल का फूल. गुड़हल मालवेसी परिवार से संबंधित एक प्रकार के फूलों वाला पौधा है जो कि समशीतोष्णउष्ण कटिबंधीय इलाकों में पाया जाता है. गुड़हल का फूल बेहद ही लाभकारी और गुणकारी होता है. ये एक ऐसा फूल होता है जो कईं तरह के पोषक तत्वों से भरा रहता है. इस फूल में विटामिन सीकैल्शियमवसा आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. गुड़हल के फूल अलग-अलग प्रकार के रंगों में पाए जाते हैं. जैसे लालबैगनीगुलाब और पीला आदि. इस फूल में कई तरह के विशेष औषधीय गुण पाए जाते हैं जिससे आपकी सेहत को काफी फायदा होता है.





बालों के लिए फायदेमंद
गुड़हल के फूल में जड़ से लेकर पत्तियों तक कई तरह के औषधीय गुण है. गुड़हल का फूल बालों के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है. गुड़हल के ताजे फूलों को पीसकर लगाने से बालों का रंग काफी सुदंर हो जाता है.
मुंह के लिए फायदेमंद
गुड़हल का फूल केवल बाल ही नहीं बल्कि त्वचा से जुड़ी समस्याओं के निदान में भी काफी सहायक होता है. अगर आपके चेहरे पर किसी भी तरह से मुंहासे और दाग-धब्बे हैं तो इनको दूर करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा आप इसका शहद में मिलाकर भी उपयोग कर सकते है.
स्वास्थ्यवर्धक गुण
गुड़हल का फूल गुर्दे की समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी है. अक्सर इसे बर्फ के साथ बिना चीनी मिलाकर आसानी से पी सकते है. क्योंकि इसमें कई तरह के मूत्रवर्धक गुण होते है. मुंह में छाले होने पर गुड़हल के पत्ते चबाएं.
सूजन को रखे दूर
गुड़हल के फूल के जरिए आप शरीर में सूजन और जलन की समस्याओं से भी राहत पा सकते हैं. गुड़हल के फूल की पत्तियों को पीसकर अच्छी तरह से सूजन वाली जगह पर लगाएजिससे सूजन की समस्या से आप कुछ मिनटों में ही छुटकारा पा सकते हैं.
हर्बल चाय बनाएं
गुड़हल के फूल को सूखाकर इसे हर्बल चाय बनाने में उपयोग किया जाता है. इन सूखे फूलों को पानी में उबालकर चाय तैयार की जाती है.इस चाय के सेवन से मोटापे में राहत मिलती है और आपका मन भी एकाग्र हो जाता है. यह चाय दिल के मरीजों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी काफी ज्यादा सहायक होती है.