प्रस्तावना:
हमारे भारत देश के सभी फूलों में से गेंदा यह फुल अत्यंत लोकप्रिय फुल हैं | यह गेंदा फुल अपनी खूबसूरती और सुगंधी की वजह से सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं |
गेंदा यह फुल बहुत उपयोगी हैं और बहुत आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा हैं | इस गेंदा फुल का पौधा बरसात के मौसम में लगाया जाता हैं | गेंदा फुल हमारे भारत देश में हर एक जगह पर पाया जाता हैं | भारत देश के कई हिस्सों में गेंदे के फुल की खेती की जाती हैं |
गेंदा फुल की रचना
गेंदा फुल की ऊंचाई लगबग ३-४ फूट होती हैं | गेंदा फुल के पत्ते लम्बे और कंगूरेदार होते हैं | इसे मसलने पर अच्छी खुशबु आती हैं | गेंदा फुल का रंग अलग – अलग होता हैं |
जैसे की यह फुल नारंगी और पीले रंगों में पाया जाता हैं | गेंदे के पौधे पर अक्टूबर या नवम्बर में फुल लगते हैं | इन फूलों का आकर अन्य फूलों में से घना और बड़ा होता हैं |
गेंदे फुल की प्रजाति
गेंदे फुल की अन्य प्रकार की प्रजाति पाई जाती हैं | लेकिन उन सबही प्रजातियों में से मखमली, जाफ़रे, हवशी और सुरनाई यह प्रजाति प्रचलित हैं
गेंदा के फुल पर निबंध
हमारे भारत देश में मुख्य रूप से अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा की खेती की जाती हैं |
अफ्रीकन गेंदा
अफ्रीकन गेंदा यह बहुत फैला हुआ और लम्बा बढ़ने वाला होता हैं | इसके फुल भी बहुत बड़े होते हैं | जो विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं | जैसे की नींबू या पीला, चमकीला पीला, स्वर्णपीला, नारंगी और सफ़ेद रंग के होते हैं |
फ्रेंच गेंदा
फ्रेंच गेंदा इस फुल का आकार बहुत ही घना होता हैं | इस फुल की लम्बाई ३०-३७.५ सेमी होती हैं | यह फुल इकहरे और दोहरे प्रकार होते हैं | फ्रेंच गेंदा पीला, नारंगी, सुनहरा, महोगनी, चित्तीदार, लाल और मिश्रित रंगों में पाए जाते हैं |
गेंदा फुल के विभिन्न भाषाओँ में नाम
इस गेंदा फुल को संस्कृत भाषा में झंडू और स्थूल पुष्प कहा जाता हैं | हिंदी में गेंदा, मराठी में झेंडू और गुजराती में गलगोटो, अंग्रेजी में मेरी गोल्ड कहा जाता हैं |
गेंदे फुल के गुण
गेंदे फुल का उपयोग एंटी – बायोटिक के रूप में किया जाता हैं |
गेंदे का फुल आँखों से जुडी हुई कई तरह के बिमारियों के लिए फायदेमंद होता हैं |
गेंदे का फुल एक बेहतरीन सौंदर्य उत्पादक हैं | यह त्वचा को लम्बे समय तक खुश रखता हैं |
इस फुल में कई ऐसे गुण होते हैं, जो घाव को ठीक करने के लिए सहायता करते हैं |
गेंदे फुल का उपयोग इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है |
निष्कर्ष:
गेंदा यह फुल बहुत उपयोगी फुल हैं | इस फुल का उपयोग सजावटी के लिए भी किया जाता हैं | कई लोग इस फुल की मालाएं बनाकर और खुले बेचते हैं | गेंदा यह फुल अपने विभिन्न रंगों के कारण भू – दृश्य की सुंदरता बढ़ाने में इसका सबसे ज्यादा महत्त्व हैं |
गेंदा के फूल का कुछ उपयोग
गेंदे के पत्तों के 20-30 mL काढ़े को कुछ दिनों तक दिन में दो बार सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है.
गेंदे के फूल हानिकारक कीटाणुओं और कीड़ों को दूर रखते है. इसे लगाने से मलेरिया पैदा करने वाले मच्छर भी भाग जाते है.
– इसकी पत्ती का रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है. तेल गर्म कर उसमे दो तीन गेंदे की पत्तियाँ, अजवाइन और लहसुन डालकर छान ले. यह तेल कान में डालने से दर्द चला जाता है.
– गेंदा के फूलों का रस नारियल तेल के साथ मिलाकर उससे हल्की-हल्की मालिश करके नहा लिया जाए तो सिर में हुए किसी भी तरह के संक्रमण, फोड़े- फुंसियों में आराम मिल जाता है.
गेंदे के फूल की डौण्डी का चूर्ण 10 ग्राम दही के साथ सेवन करने से दमें और खांसी में लाभ होता है.
– खूनी बवासीर में गेंदे के फूलों का 5-10 ग्राम रस दिन में 2-3 बार सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है. गेंदे के पत्तों का रस निकालकर पीने से बवासीर में बहने वाला रक्त तुरन्त बंद हो जाता है.
– रक्तप्रदर या ओवर ब्लीडिंग में गेंदे के फूलों का रस 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है. इसके फूलों के 20 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम घी में भूनकर सेवन करने से लाभ होता है.
– गेंदे के पत्तों को पीसकर टिकियां बना लें फिर आंखों की पलकों को बंद करके इसे पलको के ऊपर रखे इससे आंखों का दर्द दूर हो जाएगा.
गेंदे के पंचाग (जड़, पत्ता, तना, फूल और फल) का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाएं व मालिश करें। इससे लाभ मिलता है.
– मेरीगोल्ड के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करें इससे दांतों के दर्द में तुरन्त आराम मिलेगा.
– गेंदे के फूलों का रस 1 से 2 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करने से बुखार में लाभ मिलता है.
– मेरीगोल्ड के पत्तों को मैदा या सूजी के साथ मिलाकर पीठ के फोड़े, विषाक्त फोड़े, सिर के फोड़े और गांठ पर लगाने से फोड़ा ठीक हो जाता है.
– 10 ग्राम गेंदे के पत्तों को पीसकर उसके रस में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार पीने से रुका हुआ पेशाब खुलकर आ जाता है.
दाद होने पर गेंदे के फूलों का रस निकालकर 2-3 बार रोज लगाने से लाभ होता है.
– गेदें के पत्तों को पीसकर 2-3 बार लगाने से फोड़े, फुंसियों तथा घाव में लाभ मिलता है. गेंदा के फूलों को पीसकर घाव पर लगाने से फायदा मिलता है.
– सर्दियों में हाथ पैर फटने पर गेंदे के पत्तों का रस वैसलीन में मिलाकर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है.
नोट : हम यह जानकारी भिन्न- भिन्न स्रोतों से एकत्रित करते हैं. यह सिर्फ जानकारी के लिए दी गयी है. किसी भी तरह का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरुर लें. आपको यह पोस्ट गेंदा के फूल का कुछ उपयोग कैसा लगा, अपना विचार जरुर दें.
धन्यवाद!
हमारे भारत देश के सभी फूलों में से गेंदा यह फुल अत्यंत लोकप्रिय फुल हैं | यह गेंदा फुल अपनी खूबसूरती और सुगंधी की वजह से सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं |
गेंदा यह फुल बहुत उपयोगी हैं और बहुत आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा हैं | इस गेंदा फुल का पौधा बरसात के मौसम में लगाया जाता हैं | गेंदा फुल हमारे भारत देश में हर एक जगह पर पाया जाता हैं | भारत देश के कई हिस्सों में गेंदे के फुल की खेती की जाती हैं |
गेंदा फुल की रचना
गेंदा फुल की ऊंचाई लगबग ३-४ फूट होती हैं | गेंदा फुल के पत्ते लम्बे और कंगूरेदार होते हैं | इसे मसलने पर अच्छी खुशबु आती हैं | गेंदा फुल का रंग अलग – अलग होता हैं |
जैसे की यह फुल नारंगी और पीले रंगों में पाया जाता हैं | गेंदे के पौधे पर अक्टूबर या नवम्बर में फुल लगते हैं | इन फूलों का आकर अन्य फूलों में से घना और बड़ा होता हैं |
गेंदे फुल की प्रजाति
गेंदे फुल की अन्य प्रकार की प्रजाति पाई जाती हैं | लेकिन उन सबही प्रजातियों में से मखमली, जाफ़रे, हवशी और सुरनाई यह प्रजाति प्रचलित हैं
गेंदा के फुल पर निबंध
हमारे भारत देश में मुख्य रूप से अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा की खेती की जाती हैं |
अफ्रीकन गेंदा
अफ्रीकन गेंदा यह बहुत फैला हुआ और लम्बा बढ़ने वाला होता हैं | इसके फुल भी बहुत बड़े होते हैं | जो विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं | जैसे की नींबू या पीला, चमकीला पीला, स्वर्णपीला, नारंगी और सफ़ेद रंग के होते हैं |
फ्रेंच गेंदा
फ्रेंच गेंदा इस फुल का आकार बहुत ही घना होता हैं | इस फुल की लम्बाई ३०-३७.५ सेमी होती हैं | यह फुल इकहरे और दोहरे प्रकार होते हैं | फ्रेंच गेंदा पीला, नारंगी, सुनहरा, महोगनी, चित्तीदार, लाल और मिश्रित रंगों में पाए जाते हैं |
गेंदा फुल के विभिन्न भाषाओँ में नाम
इस गेंदा फुल को संस्कृत भाषा में झंडू और स्थूल पुष्प कहा जाता हैं | हिंदी में गेंदा, मराठी में झेंडू और गुजराती में गलगोटो, अंग्रेजी में मेरी गोल्ड कहा जाता हैं |
गेंदे फुल के गुण
गेंदे फुल का उपयोग एंटी – बायोटिक के रूप में किया जाता हैं |
गेंदे का फुल आँखों से जुडी हुई कई तरह के बिमारियों के लिए फायदेमंद होता हैं |
गेंदे का फुल एक बेहतरीन सौंदर्य उत्पादक हैं | यह त्वचा को लम्बे समय तक खुश रखता हैं |
इस फुल में कई ऐसे गुण होते हैं, जो घाव को ठीक करने के लिए सहायता करते हैं |
गेंदे फुल का उपयोग इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है |
निष्कर्ष:
गेंदा यह फुल बहुत उपयोगी फुल हैं | इस फुल का उपयोग सजावटी के लिए भी किया जाता हैं | कई लोग इस फुल की मालाएं बनाकर और खुले बेचते हैं | गेंदा यह फुल अपने विभिन्न रंगों के कारण भू – दृश्य की सुंदरता बढ़ाने में इसका सबसे ज्यादा महत्त्व हैं |
गेंदा के फूल का कुछ उपयोग
गेंदे के पत्तों के 20-30 mL काढ़े को कुछ दिनों तक दिन में दो बार सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है.
गेंदे के फूल हानिकारक कीटाणुओं और कीड़ों को दूर रखते है. इसे लगाने से मलेरिया पैदा करने वाले मच्छर भी भाग जाते है.
– इसकी पत्ती का रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है. तेल गर्म कर उसमे दो तीन गेंदे की पत्तियाँ, अजवाइन और लहसुन डालकर छान ले. यह तेल कान में डालने से दर्द चला जाता है.
– गेंदा के फूलों का रस नारियल तेल के साथ मिलाकर उससे हल्की-हल्की मालिश करके नहा लिया जाए तो सिर में हुए किसी भी तरह के संक्रमण, फोड़े- फुंसियों में आराम मिल जाता है.
गेंदे के फूल की डौण्डी का चूर्ण 10 ग्राम दही के साथ सेवन करने से दमें और खांसी में लाभ होता है.
– खूनी बवासीर में गेंदे के फूलों का 5-10 ग्राम रस दिन में 2-3 बार सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है. गेंदे के पत्तों का रस निकालकर पीने से बवासीर में बहने वाला रक्त तुरन्त बंद हो जाता है.
– रक्तप्रदर या ओवर ब्लीडिंग में गेंदे के फूलों का रस 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है. इसके फूलों के 20 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम घी में भूनकर सेवन करने से लाभ होता है.
– गेंदे के पत्तों को पीसकर टिकियां बना लें फिर आंखों की पलकों को बंद करके इसे पलको के ऊपर रखे इससे आंखों का दर्द दूर हो जाएगा.
गेंदे के पंचाग (जड़, पत्ता, तना, फूल और फल) का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाएं व मालिश करें। इससे लाभ मिलता है.
– मेरीगोल्ड के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करें इससे दांतों के दर्द में तुरन्त आराम मिलेगा.
– गेंदे के फूलों का रस 1 से 2 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करने से बुखार में लाभ मिलता है.
– मेरीगोल्ड के पत्तों को मैदा या सूजी के साथ मिलाकर पीठ के फोड़े, विषाक्त फोड़े, सिर के फोड़े और गांठ पर लगाने से फोड़ा ठीक हो जाता है.
– 10 ग्राम गेंदे के पत्तों को पीसकर उसके रस में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार पीने से रुका हुआ पेशाब खुलकर आ जाता है.
दाद होने पर गेंदे के फूलों का रस निकालकर 2-3 बार रोज लगाने से लाभ होता है.
– गेदें के पत्तों को पीसकर 2-3 बार लगाने से फोड़े, फुंसियों तथा घाव में लाभ मिलता है. गेंदा के फूलों को पीसकर घाव पर लगाने से फायदा मिलता है.
– सर्दियों में हाथ पैर फटने पर गेंदे के पत्तों का रस वैसलीन में मिलाकर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है.
नोट : हम यह जानकारी भिन्न- भिन्न स्रोतों से एकत्रित करते हैं. यह सिर्फ जानकारी के लिए दी गयी है. किसी भी तरह का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरुर लें. आपको यह पोस्ट गेंदा के फूल का कुछ उपयोग कैसा लगा, अपना विचार जरुर दें.
धन्यवाद!